📅 दिनांक: 16 अप्रैल 2025
फेफड़ों का कैंसर एक जानलेवा रोग है, जिसे अक्सर पुरुषों से जोड़ा जाता है, लेकिन हाल के वर्षों में महिलाओं में भी इसके मामले तेजी से बढ़े हैं। बदलती जीवनशैली, प्रदूषण, धूम्रपान की आदत और जैविक कारणों के चलते महिलाएं भी अब इस गंभीर बीमारी की चपेट में आ रही हैं।
हालांकि पुरुषों की तुलना में कम महिलाएं धूम्रपान करती हैं, लेकिन जो करती हैं, उनके लिए फेफड़ों के कैंसर का खतरा अधिक होता है। साथ ही, सेकेंडहैंड स्मोक यानी दूसरों के धुएं के संपर्क में आना भी बड़ा कारण है।
रसोई में लकड़ी, कोयला या बायोगैस जैसे ईंधनों का इस्तेमाल लंबे समय तक करने से निकले धुएं में मौजूद विषैले पदार्थ फेफड़ों को नुकसान पहुंचाते हैं।
कुछ रिसर्च के अनुसार महिलाओं में मौजूद एस्ट्रोजन हार्मोन भी फेफड़ों के कैंसर को बढ़ावा दे सकता है। इसके अलावा, कुछ जेनेटिक म्यूटेशन (जैसे EGFR म्यूटेशन) भी महिलाओं में अधिक पाए जाते हैं।
यदि परिवार में पहले किसी को फेफड़ों का कैंसर हुआ है, तो महिला में इसका खतरा अधिक हो सकता है।
🔸 लगातार खांसी रहना
🔸 सांस लेने में तकलीफ
🔸 सीने में दर्द
🔸 बलगम में खून आना
🔸 अचानक वजन घटना
🔸 लगातार थकान महसूस होना
🔸 आवाज में भारीपन या बदलाव
⚠️ इन लक्षणों को नजरअंदाज न करें, खासकर यदि ये लक्षण लंबे समय तक बने रहें।
✅ धूम्रपान न करें और धुएं से दूर रहें
✅ रसोई में वेंटिलेशन का ध्यान रखें
✅ सालाना हेल्थ चेकअप करवाएं
✅ प्राकृतिक हवा और एक्सरसाइज को दिनचर्या में शामिल करें
✅ प्रदूषण वाले इलाकों में मास्क पहनें
फेफड़ों का कैंसर अब केवल पुरुषों तक सीमित नहीं है। महिलाओं को भी इसके लक्षणों को गंभीरता से लेने और समय पर जांच करवाने की ज़रूरत है। जागरूकता, समय पर जांच और सही जीवनशैली अपनाकर इससे काफी हद तक बचाव किया जा सकता है।
🫁 स्वस्थ फेफड़े, स्वस्थ जीवन – अपना ख्याल रखें।